कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य | जाने से पहले जान ले ये 5 बातें ?

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कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य | जाने से पहले जान ले ये 5 बातें ?


कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य : कमाख्या स्थान ( kamakhya place ) भारत के असम राज्य के गोहावटी में स्थित नीरांचल पर्वत पर माता का मंदिर स्थित है जो 51 महा शक्तीपीठ ( Maha Shaktipeeth ) में से एक है ।

amakhya mandir


पुराणो के अनुसार , जब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में विभाजित किया था जिसका एक भाग यहां योनि के रुप गिरा था जो शक्तीपीठ बन गया तभी से यह कामाख्या मंदिर ( Kamakhya Temple ) नाम से प्रचलित हुआ।
आज हम आपको कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य ( Kamakhya Devi Mandir Ka Rahasya ) के बारे में बताएगे जिस कारण आप देवी माँ का शक्तीपीठ दर्शन ( Shaktipeeth Darsan ) भी कर सकते हैं ।

कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य ( Kamakhya Devi Mandir Ka Rahasya )

असम में स्थित यह देवी मंदिर माता के 51 शक्तीपीठ में शामिल होने के कारण बहुत ही प्रसिद्ध है यह दुनिया में कामाख्या देवी का चमत्कारिक मंदिर के रुप में जाना जाता है । आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में कोई मूर्ती नही है बल्कि एक शिलाखंड है जहां पर एक योनि की पूजा होती है । इस मंदिर के बारे में बहुत ही चमत्कारीक रहस्य सुनने में आते हैं इसी रहस्य और कामाख्या मंदिर की कहानी ( Kamakhya Temple Story ) को जानने और सुनने के लिए भक्त यहां पर आते रहते हैं ।

 1 - मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित नही है ।

इस मंदिर में माता सती की कोई भी मूर्ती स्थापित नही है या आपको देवी का कोई चित्र नही दिखेगा बल्कि यहां पर एक कुंड है जो हर समय फूलों से ढका रहता है जिससे जल का बहाव हर समय होता रहता है । यहां माता सती की पर योनिरुप शिलाखंड की पुजा होती है ।

2 - मंदिर के कपाट तीन दीन बंद रहते हैं ।

कमाख्या मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि मंदिर का दरवाज तीन दिन के लिए बंद कर दिया जाता है क्योंकि इस दिन देवी सती रजस्वला  रहती है । इस लिए तीन दिन तक मंदिर परिसर में किसी पुरुष का जाना प्रतिबंधित हो जाता है ।

3 - नवरात्रि में भव्य मेला का आयोजन होता है ।

कामाख्या स्थान पर नवरात्रि ( Navratri ) के समय भव्य मेला इसे अम्बुबाची मेला भी कहा जाता है यहां पर लगता है जिसमें जिसमें तीन दीन तक माता सती रजस्वला रहती है जिससे मंदिर के कुंड पर सफेद वस्त्र रखकर तीन दीन के लिए कपाट बंद कर दिया जाता है बताया जाता है कि इन दिनो ब्रह्मपुत्र नदी ( Bharam putr river) का पानी लाल हो जाता है । और जब तीन दीन बाद कपाट खोला जाता है तो वह सफेद कपड़ा भी लाल हो जाता है जिसे अम्बुबाची वस्त्र भी कहा जाता है । इस कपड़े को देवी के प्रसाद के रुप में भक्तो को दे दिया जाता है ।

4 - यह मंदिर तांत्रिको के लिए प्रसिद्ध माना जाता है ।

माँ कामख्या का मंदिर तांत्रिको के लिए तांत्रिक और मंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है यहा पर दुर-दुर से बड़े-बड़े तांत्रिक व अघोरी तंत्र विद्या का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यहां आते है और साधना कर अपनी शक्तियां अर्जित करते हैं । आपको बता दें कि तंत्र साधना के  लिए तांत्रिक मां काली व त्रिपुर सुंदरी देवी के अलावा माँ कामख्या की भी पुजा करते हैं जो तंत्र साधना व मंत्र साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । तांत्रिक व अघोरी तांत्रिक साधना ग्रहण कर समाज से नकारात्मक उर्जा या बुरी शक्तियों से हमारी रक्षा करते हैं ।

5 - कामाख्या धाम कब जाना चाहिए ?


अगर आप माता के महाशक्ती पीठ के दर्शन करना चाहते हैं तो आप किसी भी दिन जाकर देवी माँ के दर्शन कर सकते हैं । लेकिन अगर आप किसी विशेष पर्व या उत्सव , त्यौहार पर जाते हैं तो आपका दर्शन और भी अनोखा हो जाता है । यहा पर विभीन्न त्यौहार जैसे दुर्गा पुजा , वासंती पूजा, मदानदेऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा , दुर्गादेऊळ, पोहान बिया के अवसर पर आप जाकर माता का आशिर्वाद ले सकते हैं और उनकी असीम कृपा पा सकते हैं ।

FAQ : कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य

भारत में कमाख्या देवी मंदिर कितने है ?

भारत में कामाख्या देवी के केवल एक ही मंदिर है जो असम के गोहावटी में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है ।

कामाख्या देवी मंदिर कहा है ?

कमाख्या देवी मंदिर भारत के असम राज्य के गोहावटी में है जो नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है ।

कामाख्या मंदिर कौन से तारीख को बंद रहता है ?

माता कामाख्या के मंदिर का कपाट 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है ऐसा माना जाता है कि माता इन दिनो रजस्वला रहने के कारण तीन दीन एकांतवास में रहती है ।

कामाख्या मंदिर में किसकी पूजा होती है ?

कमाख्या मंदिर में एक कुंड है जो हर समय फूलों से ढका रहता है जिससे पानी की जलधारा हर समय बहती रहती है । इस मंदिर में माता सती के योनिरुप शिलाखंड की पुजा होती है ।

कमाख्या मंदिर में क्या प्रसाद मिलता है ?

जब माता सती के रजस्वला के समय मंदिर के कुंड को सफेद कपड़ो से ढककर मंदिर के कपाट तीन दिन तक बंद कर दिया जाता है और तीन दीन के बाद जब कपाट खोला जाता है तो कपड़ा लाल हो जाता है जिसे अम्बुबाची वस्त्र कहा जाता है । इसे ही प्रसाद के रुप में भक्तो को दिया जाता है ।

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