प्रसिद्ध गढमुक्तेश्वर मंदिर के सीढियों का रहस्य

प्रसिद्ध गढमुक्तेश्वर मंदिर के सीढियों का रहस्य

 

प्रसिद्ध गढमुक्तेश्वर मंदिर के सीढियों का रहस्य : आज भी हिंदु धर्म में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो अभी तक रहस्य बने हुए हैं क्योंकि आज के वैज्ञानिक भी इनके रहस्यों को सुलझा नही पाए है क्योंकि इन मंदिरो की अनोखी और चमत्कारी दृश्य या शक्तियां जो यहा के मंदिर परिसर के वातावरण में साक्षात  देखने और सुनने को मिलती है । दुनिया के सबसे प्राचीन शहर वाराणसी के समान पवित्र गढमुक्तेश्वर मंदिर अत्यंत ही दुर्लभ हैं जहां अगर कोई जीव जाता हैं तो उसके सारे कष्टो से मुक्ती मिल जाती है इसलिए इस मंदिर का नाम गढ मुक्तेशवर पड़ा ।
इस मंदिर की भव्यता बहुत ही निराली है तथा रहस्यो से परिपूर्ण हैं अगर आप इस मंदिर के रहस्यो के बारे में जानेंगे तथा यहा दर्शन करेंगे तो आपको कुछ ऐसे चमत्कार स्वरुप दिखाई और सुनाई पड़ेगें जिससे आप को परम सुख का आनंद प्राप्त होगा । तो चलिए आज हम प्रसिद्ध गढमुक्तेश्वर मंदिर के बारे  में जानने की कोशिश करते है कि आखिर क्या है इस मंदिर में जो रहस्य है ।

गढमुक्तेश्वर मंदिर


गढमुक्तेश्वर धाम


गढमुक्तेश्वर गंगा मंदिर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित है । काशी,अयोध्या,हरिद्वार,प्रयाग के समान पवित्र तीर्थ स्थल के रुप में जाना जाता है तथा दिल्ली से इस मंदिर की दुरी 100 किमी है तथा मेरठ से 42 किमी की दुरी तय करना पड़ता है जो पवित्र गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है । प्राचीन गढमुक्तेश्वर मंदिर में एक भव्य माता गंगा की मुर्ती तथा दुध के समान सफेद चार मुख वाली ब्रह्मा जी की मुर्ती विराजमान है तथा इसी मंदिर में एक शिवलिंग भी है जो श्रद्धालूओं के लिए आस्था का केंद्र है । इस मंदिर का रहस्य और पौराणिक मान्यताए इसको और ही भव्य बनाती है जिससे यहा पर लाखो श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेके आते है और पुजा-पाठ करते है यहा पर प्रतिवर्ष कार्तिक महीना में मेला लगता है जो लगातार दस दिनो तक चलता है।
पौराणिक कथानुसार यह मंदिर शिवपुराण और महाभारत जैसी धार्मिक रहस्यो की जानकारी प्रकट करती हैं जिसके रहस्यो को जानने के लिए बहुत से पर्यटक यहा आते हैं और  कुछ जानकारी हासिल कर पाते है तथा कुछ रहस्य ही रह जाता हैं ।

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गढमुक्तेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

गढमुक्तेश्वर मंदिर में बनी हुयी सीढीया जिससे आने वाली पानी की अवाज तथा अद्भुत शिवलिंग पर दिखाई देने वाली देवी-देवताओ की सुनहरी आकृतिया इस मंदिर की भव्यता में चार चांद लगा देता है जिससे यह भक्तो के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र बन जाता है और इसके अतिरिक्त इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंन्थो और पौराणिक कथाओ में सुनने को मिलता है जो इसके प्रसिद्ध होने का प्रमाण है ।
नीचें हम और विस्तार से जानेंगे की गढमुक्तेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ।

भगवान परशुराम के द्वारा गढमुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण

धार्मिक और पौराणिक कथानुसार गढमुक्तेश्वर महाभारत काल में खाण्डव वन के नाम से जाना जाता था उस समय भगवान शिव के आदेश पर भगवान परशुराम ने  इस अदभुत शिवलिंग की स्थापना की ।
उस समय यह स्थान बल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र हुआ करता था जिसके कारण इसका नाम शिवबल्लभपुर  पड़ा । इसी कारण  भगवान परशुराम द्वारा स्थापित शिव मंदिर पर लाखो शिव भक्त आते है और और पुजा-पाठ आदि संस्कार करते हैं ।

श्रापित शिव गणो को यहा मुक्ती मिली थी

श्रापित शिवगणो को इसी स्थान पर पिशाच योनि से मुक्ती मिली थी । शिवपुराण के अनुसार , जब महर्षि दुर्वासा अपने अराध्य के तपस्या कर रहे थे तभी कुछ शिव गण उनके पास आकर उनका हसी उड़ाने लगे तथा उपहास करने लगे इस क्रोध के कारण ऋषि  दुर्वासा ने शिव गणो को श्राप दे दिया जिससे वह पिशाच बन गये । श्रापित शिव गण महर्षि के पास आकर क्षमा याचना की , और अपने पिशाच योनि से मुक्ती के लिए तरीका पुछा , जिससे महर्षि दुर्वासा प्रसन्न होकर शिवगणो को खाण्डव वन (मुक्तेश्वर ) में जाकर शिव अराधना का आदेश दिया जिससे शिव ने प्रसन्न होकर उन्हे पिशाच योनि से मुक्त किया तभी से इस स्थान का नाम मुक्तेश्वर पड़ा ।

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पांडवो ने यहा पर अपने पूर्वजो का पिंड दान किया

मुक्तेश्वर की पवित्र भूमि पर महाभारत काल से पिंड दान की परंपरा चली आ रही है , यहा पर ऐसी मान्यता हैं कि महाभारत के भिषण संग्राम में मारे गए पांडवो के पुर्वजो का यहा पिंडदान किया गया तथा पांडवो द्वारा अपने पितरो के शांति व मोक्ष की प्राप्ती के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक यहा पर गंगा में दीप जलाकर यज्ञ किया गया तभी से यह परंपरा चली आ रही है । यहा प्रतिवर्ष कार्तिक महिने में लाखो श्रद्धालू आकर पिंडदान ,मुंडन संस्कार आदि कराते हैं ।

गढमुक्तेश्वर मंदिर का रहस्य

पौराणिक कथाओ और मान्यताओ से संबंधित यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है तथा ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री परशुराम जी के द्वारा किया गया था जो उस समय इसका नाम खाण्डवी था ।
इस मंदिर से संबंधित बहुत सी कथाए और रहस्य हैं जिसको हम निचे विस्तार से पढेंगे ।

मंदिर के सीढियों से आती है पानी की अवाज

हम सभी ने बहुत से मंदिर तथा देवी-देवताओ के दर्शन किए होंगे और वहा के चमत्कार स्वरुप रहस्य व जानकारियाँ को मालुम किया होगा तथा ठीक वैसे ही इस मंदिर का भी रहस्य है जो सबको आश्चर्यचकित करता है । इस  मंदिर की सीढिया इतनी अलौकिक और रहस्यमयी है की इसके बारे मे पता लगा पाना मुश्कील है । अगर कोई इस मंदिर के सीढियों पर एक पत्थर फेकता है तो सीढियों से एक विशेष प्रकार की ध्वनि सुनाई देती है और वह ध्वनि एक पानी की होती हैं ।
जिसके रहस्य को समझना बहुत ही मुश्किल है क्योकि सीढियों के इन रहस्य को समझने के लिए  वैज्ञानिक और पुरातत्व विभाग की टीम ने बहुत कोशिश की लेकिन इसको सुलझाने में नाकामयाब रहे ।
ऐसा माना जाता है पहले इन सीढियों की संख्या 101 हुआ करती थी और गंगा नदी का जल प्रवाह इन सीढियों के उपर से होता था लेकिन अब इन सीढियों की संख्या घटकर 84 हो गयी है तथा गंगा नदी भी इस मंदिर से पाच किलो मीटर दुर बहती है ।

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शिवलिंग पर शिव की आकृति दिखाई देती है

गढमुक्तेश्वर स्थित महादेव मंदिर रहस्यो के कारण विश्व विख्यात है । ऐसा माना जाता है कि यहा पर स्थापित शिवलिंग पर प्रत्येक वर्ष एक अंकुर उभरता है और इसके फुटने के पश्चात भगवान शिव तथा अन्य देवी-देवताओ की आकृति दिखाई देती है जो वैज्ञानिक के लिए एक रहस्य बन गया है । इस भव्य शिवलिंग के रहस्य को उजागर करने के लिए बहुत से खोज व प्रयत्न किए गए लेकिन आज तक इस चमत्कारी रहस्य का पता नही लगाया जा सका ।

निष्कर्ष - इस प्रकार गढमुक्तेश्वर मंदिर से संबंधित अनेक धार्मिक कथाए सुनने को मिलती हैं जो श्रद्धालूओ के लिए आस्था का केंद्र सिद्ध होता है तथा यहा पर प्रसिद्ध गंगा मंदिर और शिव मंदिर में पुजा करने पर मनुष्य को सभी दुखो से मुक्ती मिलती है ।
आशा करता हूँ कि प्रसिद्ध गढमुक्तेश्वर मंदिर के सीढियों का रहस्य तथा गढमुक्तेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है से संबंधित जानकारी को पढकर आपको अच्छा लगा होगा । धन्यवाद

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