क्या अंतरिक्ष में मनुष्य की लंबाई बढ जाती हैं?

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क्या अंतरिक्ष में मनुष्य की लंबाई बढ जाती हैं?

 

जब भी अंतरिक्ष (space) की बारे में बात आती है तो हमारे मन मस्तिष्क में एक कल्पना उत्पन्न होेने लगती है कि अंतरिक्ष कैसा होगा या क्या वहा का वातवरण पृथ्वी के जैसा ही होता होगा तरह-तरह के की सवाल मन में विकसित होने लगती है।और ये कहा जाए कि स्पेस में मनुष्य की लंबाई भी बढ जाती है तो यह एक और रोचक सवाल लगने लगता हैं हम यहा पर इस लेख में अंतरिक्ष में मनुष्य के लंबाई के बढने के संबंध में तथा कुछ स्वास्थ्य के बारे में हिंदी में जानकारी तथा कुछ मजेदार बात जानेंगे जिसको पढ कर आप भी आश्चर्य का अनुभव महशुस करेंगे।

अंतरिक्ष


अंतरिक्ष में जाने की तकनीकि का विकास

पृथ्वी से दुर अंतरिक्ष में जाना मनुष्यो का बहुत पहले से ही ख्वाब रहा है हवा में उड़ने का सपना मनुष्य को युगो-युगो से रोमांचित करता आ रहा है।पहले भी आदि मानव अकाश में उड़ते हुए पक्षियों को देखकर मन-मस्तिष्क में यह धारणा बनाते रहते की हम भी इन्ही की तरह अकाश में क्यों नही उड़ सकते।< /> लेकिन अब वह धारणा हकीकत में बदल गया है आज मनुष्य ने अंतरिक्ष में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर लिए हैं वे पृथ्वी सें अंतरिक्ष का सफर करने के लिए विभीन्न संसाधन तथा माध्यम विकसीत कर चुके है जिससे मनुष्य को अंतरिक्ष में जाना ही नही वहा रहने लायक भी विभीन्न तकनीक का विकास कर दिया है जिससे मनुष्य पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को लांघते हुए पृथ्वी से बहुत दुर अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते हुए और खतरनाक रेडियशन के बीच जाने लायक संसाधन विकसीत किया है।

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का अभाव

आप ने कभी सुना होगा या देखा होगा कि अंतरिक्ष में कोई आदमी कैसै भारहीनता का अनुभव करता है
क्योकिं वहा पर गुरुत्वाकर्षण शुन्य होन के कारण वह अपने शरीर को हल्का महशुस करता है हवा में इधर-उझर उड़ने लगता है।यहा तक की अगर आप पानी को अंतरिक्ष में जाकर के फेंके तो वह भी ठहरा हुआ दिखाई देता है। वहां पर जाना उतना असान नही है इसके लिए विशेष प्रकार की ट्रेंनिग दिया जाता हैं तथा नीचे आर्टिकल में हम यह जानेंगे की अंतरिक्ष में किन-किन विभीन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओ से भी गुजरना पड़ता है

स्वास्थ्य पर प्रभाव

अंतरिक्ष में मनुष्य का स्वास्थ्य पर भी बहुत असर पड़ता है क्योंकि पृथ्वी पर पर्यावरण होता हैं इसलिए यहा पर रेडियशन का खतरा नही रहता है और वही अंतरिक्ष में रेडियेशन का खतरा बना रहता है क्योंकि वहा पर रेडियेशन सीधे मनुष्य के शरीर पर पड़ता है।जिससे मनुष्य का स्वास्थ्य खराब होने लगता है।

शरीर में तरल पदार्थो की गति उपर से नीचे

अंतरिक्ष में जाने पर मनुष्य भारहीनता का अनुभव करने लगता है क्योंकि वहा पर गुरुत्वाकर्षण शुन्य हो जाता है हम सभी जानते हैं कि शरीर में तरल पदार्थो का गति या रक्त का प्रवाह समान्यत: नीचे से उपर होती है लेकिन अंतरिक्ष में इसका प्रवाह उपर से निचे होता है

लंबाई में वृद्धी

अब हम बात करते हैं कि क्या सचमुच अगर कोई मनुष्य स्पेश में जाता है तो उसकी लंबाई मे फर्क पड़ता है।अंतरिक्ष में जाने पर मनुष्य की लंबाई बढ जाती है क्योंकि वहा पर गुरुत्वाकर्षण का अभाव रहता है।जब हम पृथ्वी पर होते है तो हमारे रीढ की हड्डी गुरुत्व के कारण दबी हुई होती हैं और वही जब अंतरिक्ष में जाते है तो वहा पर गुरुत्वाकर्षण का कोई भी प्रभाव नही रहता है इस कारण से रीढ की हड्डी में एक फैलाव होता है जिससे लंबाई में दो-तीन इंच की वृद्धी होती है।हलॉकि यह लंबाई पृथ्वी पर आने पर कुछ दीन बाद अपने पहले की स्थिती में आ जाती है।

आँख और मांसपेशियाें पर प्रभाव

जब हम पृथ्वी पर होते है तो हमारे शरीर की मांसपेशिया गुरुत्व के कारण एक आयाम में व्यवस्थीत होती है लेकिन वही अंतरिछ में जाने पर मांसपेशिया सिकुड़ने लग जाती है इसलिए यहा पर निरंतर व्ययाम कराया जाता है। इसके साथ ही यहा पर मनुष्य की आखें भी कमजोर होने लगती है।

इस पोस्ट में आप ने पढा कि अंतरिक्ष में जाने पर कैसे मनुष्य के स्वास्थ्य संबधी समस्यांए होती है।
तथा शरीर की प्रतिरोधक छमता घटने लगती है
अंतरिछ में यात्रा करना इतना असान नही हैं इसके लिए मनुष्य का स्वास्थ्य बेहतर होना चाहिए इसके लिए विभीन्न प्रकार की विशेष ट्रेनिंग दिया जाता हैं।


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