झूठ बोलने की सजा

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झूठ बोलने की सजा

 झूठ बोलने की सजा : एक गांव में एक धोबी रहता था उसे दुसरे लोगो को परेशान करने मे बहुत प्रसन्नता मिलती थी वह किसी न किसी दिन लोगो को मूर्ख बनाने के लिए तरह-तरह के बिचार अपने दिमाग मे खोजा करता था। गांव के लोग उसे समझाते फिर भी वह वही काम करता था।

 झूठ बोलने की सजा कहानी मजेदार रोचक कहानियाँ

एक बार की बात है उस गॉव मे एक सुंदर सा तालाब था जहा पर लोग किसी ना किसी काम से जाया करते थे जैसे किसी को अपने जानवरो को पानी पिलाने तथा किसी को कपडा धोने या किसी ना किसी को स्नान करना हो तो वहा पर सब लोग जाया करते थे। धोबी भी वहा पर बार-बार जाया करता था ।

प्रेरक कहानी


एक दिन धोबी अपने गधे पर कपडे लेकर तालाब की ओर चल दिया । जब वह तालाब पहुचा तो उसके शरारती दिमाग मे एक शरारत भरी बात सूझी कि आज लोगो को ऐसा परेशान किया जाए कि लोग मूर्ख बन जाये और हमे उनपर हँसने का मौका मिल जाए, वह तुरंत अपने गधे से निचे उतरा और कपडे को हाथ मे लेकर तॉलाब की ओर चल दिया कुछ देर मे तॉलाब मे घुसा और वह कपड़ा धोने लगा कुछ देर तक वह कपड़ा धोता रहा, फिर आचानक ही वह चिल्लाने लगा की बचाओ-बचाओ, काका बचाओ मुझे मगरमच्छ ने पकड़ लिया है । चाचा बचाओ, बचाओ, तब अचानक ही गॉव वालो ने उसकी कराहते, चिल्लाते हुए सभी ने आवाज सुनी तो सब लोग तालाब की तरफ भागने लगे जब सभी लोग वहां भाग कर पहुचे तब सभी ने देखा की वह आदमी पानी मे खड़ा होकर चिल्ला रहा है बचाओ-बचाओ मेरे पैरो को मगरमच्छ ने पकड लिया। तभी लोग लाठी-डंडे लेकर तालाब मे घुसे, लोगो को तालाब मे घुसता देख धोबी अपनी हसी नही रोक पाया और वह ठहाके मार कर हँसने लगा और कहने लगा कि तुम सब को मैने मूर्ख बनाया है तुम सब बहुत मूर्ख हो ।

यह कहकर उनकी खिल्ली उड़ाने लगा और अपना काम करने लगा। लोग उसके झूठ से बहुत परेशान होकर उन्होने ने आपस मे निर्णय लिया की आज से अब उसके किसी भी छलावे मे नही पडेंगे। सभी ने एकमत होकर कहॉ की हॉ, आज से हम एसा नही करेंगे। धोबी रोज की ही भॉति अपने गधे पर कपडे लेकर तालाब की ओर धोने के लिए चल दिया। वह तालाब मे घूसकर कपडे धोने लगा, कुछ देर बाद वह फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगा बचाओ-बचाओ, मुझे मगरमच्छ ने पकड़ लिया है। काका बचाओ, चाचा बचाओ, इस बार सही कह रहा हू एकबार बचाओ -बचाओ, आज के बाद कभी झूठ नही बोलूंगा, कभी किसी को परेशान नही करूंगा। उसकी आवाज सारे लोग सुन कर के सब लोग चुप हो गये कोई घर चला गया तो कोई अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया तो कोई अपने काम चुप-चाप करने लगे। लोगो ने सोचा की लग रहा है आज भी वह झूठ बोल रहा है वह हमे मूर्ख बना रहा है, लेकिन आज तालाब मे मगरमच्छ ने उसे सही मे पकड लिया था कोई उसे बचाने नही आया। अंत मे चिल्लाते चिल्लाते उसकी आवाज बंद हो गयी और मगरमच्छ ने उसे मार दिया ।

कहानी से सीख -

किसी से बार-बार इतना भी झूठ नही बोलना चाहिए कि लोग आपकी सच्ची बातो को भी झूठा समझने लगे। 


झूठ की सच्चाई - छोटी रोचक कहानियाँ

एक राजा था जिसके दो विश्वास पात्र मंत्री, जिसमें से एक इमानदार और दूसरा से ईर्ष्यालू था. राजा को जब किसी मुद्दे पर फैसला करना होता था तब वह सबसे पहले अपने दोनों मंत्रीयो से विचार-विमर्श करते थे. एक दिन उसके राज्य के दरबारियों ने राज्यसभा में एक विदेशी कैदी को पकड़ कर राजा के सामने लाए जिसे किसी अपराध के लिए बंदी बनाया गया था . और राजा ने उसको अपने अपराध के लिए उसे फाँसी की सजा का एलान किया. 

फाँसी की सजा सुनकर कैदी ने अपनी भाषा में राजा को कुछ अपशब्द कहाँ, और उसके लिए विनाश की कामना की . राजा को उसकी बातें समझ नही आया तो उसने अपने एक मंत्री को बुलाकर कहा कि, मंत्री जी इस अपराधी ने क्या कहा हैं ।


इस पर इमानदार मंत्री ने कहा, महाराज ! यह आदमी अपराधी हैं और इसको अपने जुल्मों की सजा मिलने वाली हैं लेकिन, महाराज! फिर भी इस आदमी ने आपको दुआ दिया हैं तथा आपकी सदैव उन्नति की कामना किया हैं । इस पर दूसरा ईर्ष्यालु मंत्री ने बोला की, नही महाराज ! इस अपराधी ने आपको दुआ नही दिया हैं बल्कि,आपको अपशब्द कहा हैं तथा आपके विनाश की कामना किया हैं ये आपके मंत्री जिसे आप सबसे विश्वास-पात्र मानते हैं इन्होने झूठी बातें आपको बताई हैं । इस पर राजा ने अपने खास मंत्री से पूछा कि क्या आपने मुझसे झूठ बोला हैं . राजा के पूछने पर मंत्री ने सच्चाई बता दी कि, हाँ महाराज ! हमने आपसे झूठ बोला हैं और आपसे सही बात नही बताया हैं ।


राजा ने इमानदार मंत्री की बातें सुनकर बोले ! मंत्रिवर , आपने मुझसे झूठ बोंलकर एक निर्दोष की जान बचाई हैं आपने झूठ के सहारे ही सही सच्चाई को प्रकाशित किया हैं .आपने, राजद्रोह के लिए दण्ड की चिंता ना करते हुए एक निरपराध मनुष्य के प्राण बचाये हैं क्योंकि यह मनुष्य अपराधी नही था यह निर्दोष हैं और इसने खुद अपने निर्दोष होने का प्रमाण राजा के सामने बोल कर दिया हैं . यदि यह अपराधी हैं होता तो राजा के सामने इतनी ऊँची आवाज में और अपशब्द नही बोलता , अतः: आज आपने मानवधर्म को सर्वोपरि रख कर हमारे राज्य का नाम रोशन किया हैं । मैं आपको इस बात के लिए मुहमांगी अशर्फियां इनाम स्वरुप देता हूं ।

राजा ने तुरंत दूसरे मंत्री की तरफ इशारा करते हुए कहा कि तुमने एक निर्दोष मनुष्य की सच्चाई ना देखते हुए तुमने केवल मंत्री से ईर्ष्या वश सच बात बोला जिससे एक निर्दोष की जान जा सकती थी । इसलिए तुम जैसे मंत्रियों को हमारे राज्य में रहने का अधिकार नही हैं मैं तुम्हें इसी समय इस राज्य से निष्कासित करता हूँ ।


कहानी से सीख -

"इसलिए किसी की बुराई करने से कभी भी हम उससे अच्छा नही बन सकते तथा किसी के अपमान से हमें कभी भी सम्मान नही मिल सकता हैं , किसी से द्वेष करने से हमारी भलाई कभी नही हो सकती हैं  "


इंकार करना - शिक्षादायक कहानी

एक गांव के पास घना जंगल था जिसके पास से ही एक छोटी नदी थी जिसके किनारे पर दो वृक्ष थे जिसमें से एक नया और दुसरा वृक्ष पुराना था जो बहुत समय से उस नदी के किनारें पर खड़े थे ।
कुछ दिन बाद एक चीड़िया का परिवार उस जंगल के उपर से गुजरी , तभी अचानक मौसम खराब होने लगा और बरसात होने लगी ! चीड़िया ने से सोचा कि क्योंना बरसात खत्म होने तक नीचे कही सुरिक्षत जगह देखकर छुप लिया जाए । उसने अपने बच्चों के साथ नीचें उतरने का फैसला बना लिया और छुपने की जगह तलाश ने लगी । चलते-चलते ! उसे एक नदी दिखायी दिया जिसके पास में दो घने पेंड़ थे तब उसने सोंचा कि यही पेड़ के पास रुकने के लिए अच्छा रहेगा ।
चीड़िया पहले वही पुराने वृक्ष के पास गई और पेड़ से बोली की , बरसात होने वाली है क्या हम  अपने बच्चो के साथ तुम्हारे नीचे छुप सकते हैं इस पर पुराने पेड़ ने मदद देने से मना कर दिया और चीड़िया को उस पेड़ से कुछ मदद नही मिली ।

फिर चीड़िया ने दुसरे पेड़ से मदद मांगी , और दुसरे पेड़ ने उसकी मदद करने के लिए मान गया और चीड़िया अपने बच्चों को लेकर पेड़ के पास छुप गयी । तभी अचानक बारिस और तेज होने लगी और हवा भी जोर से चलने लगी जिस कारण पास की नदी का जलस्तर बढ गया और वह तेज धारा के साथ बहने लगी ।
नदी की तेज धारा के प्रवाह से पुराना पेड़ जड़ से उखड़कर बहने लगा . जिसे देखकर चीड़िया उस पुराने पेड़ के पास गई और बोली ! देखो शायद ! तुमने मेरी मदद नही की यह उसी का परिणाम है इसीलिए तुम पानी में बह रहे हो ।

चीड़िया की बातें सुनकर पेड़ ने हंसते हुए कहा कि , मै जानता था कि मै इस बारिस में गिरने वाला हूँ क्योंकि मै बहुत पुराना हो चुका हूँ जिससे मेरी जड़े बहुत कमजोर हो चुकी है इसलिए मैने तुम्हारी और तुम्हारे बच्चो की मदद नही किया उनकी जान को खतरे में नही डालना चाहता था और यह कहकर पेड़ धीरे-धीरे पानी में बहकर दुर चला गया ।

कहानी से शिक्षा -


किसी के इंकार को उसकी बेरुखी ना समझे , हो सकता है उसके इंकार में भी हमारी भलाई छुपी हो  ।



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