कैसे एक रानी की भक्ति के कारण श्री राम को अयोध्या से ओरछा आना पड़ा

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कैसे एक रानी की भक्ति के कारण श्री राम को अयोध्या से ओरछा आना पड़ा


Orchha Ram mandir Story : भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या है ये तो आप जानते ही है । लेकिन क्या आपको पता है कि , उनके कर्मभूमि ओरछा को कहा जाता है और वे वहां ओरछा राम राजा के रूप में जाने जाते हैं , जहां के लोग इनको अपना राजा मानते है । जिस श्रद्धा भाव से भारी संख्या में लोग अयोध्या राम मंदिर जाकर प्रभु के दर्शन करते है उसी तरह राम राजा मंदिर ओरछा में भी आकर पूजा–अर्चना करते हैं । आज हम इस पोस्ट में भगवान राम की अयोध्या से ओरछा आने की कहानी ( Orchha Ram mandir Story ) को जानेंगे जिसे पढ़कर आपको अच्छा जरूर लगेगा ।

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श्री राम की अयोध्या से ओरछा आने की कहानी
( Orchha Ram mandir Story in Hindi )

ओरछा मंदिर कहां हैं

मध्य प्रदेश मे बेतवा नदी के पास स्थित , भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में से एक ओरछा अपने आप मे एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । यह स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र है । उँचाई पर स्थित बड़े-बड़े महल ,धार्मिक स्थल का दृश्य अत्यंत खूबसूरत और आकर्षक है । ऐसा लगता है कि प्रकृति यहा खुद निवास करती है जो पूरी खुबसूरती अपने अंदर समेटे हुए है ।

ओरछा की कथा

पौराणिक मान्यता अनुसार यह कहा जाता है कि , भगवान राम की ओरछा से बहुत ही गहरा संबंध है ।श्रीराम यहा पर राजा के रुप मे पूजे जाते है तथा उन्ही के वाक्य चिन्हो पर यहा का कार्यभार अभी भी चलता है । संतो के कथानानुसार लोग बताते है कि पहले यहा के राजा मधुकर शाह राज्य किया करते थे और बाद मे चलकर भगवान राम को राज्य सौप दिया था।

यहा तक कि राजा मधुकर शाह और रानी कुवंर को भगवान राम के माता कौशल्या और पिता दशरथ का प्रतिरुप बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान राम को पिता राजा दशरथ के वचनानुसार , राज्यभिषेक किये बिना ही वनगमन करना पड़ा था । इसिलिए , राजा मधुकर शाह ने अपना राज्य देकर के भगवान राम का राज्यभिषेक किया था । तबसे , भगवान राम यहा पर रामरजा के रुप मे शासन करते है तथा इनके वंशज इस परंपरा को निभाते आ रहे है ।

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ओरछा की राम कहानी ( Orchha Ram mandir Story )

एक अन्य किवंदती के अनुसार , ओरछा के महराजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे तथा महारानी गणेश कुँवरि रामभक्त थी । एक दिन राजा और रानी को अपने अराध्य भगवान को लेकर तकरार हुई । जिसके बाद महाराज मधुकर शाह ने महारानी से एक प्रश्न किया कि , अगर तुम इतनी रामभक्त हो तो भगवान राम को अयोध्या जाकर क्यो नही ले आती । तब महरानी कुंवर ने अपने पति के सामने प्रण लिया और कहा कि , अगर मै अपने अराध्य को वापस लाने मे असफल रहती हूँ तो मै अपनी प्राण त्याग दूंगी ।

उसके बाद रानी कुवंर अयोध्या चली गयी तथा सरयू नदी के किनारे आसन ग्रहण करके तपस्या करने लगी । तपस्या करते–करते उनका बहुत समय बीत गया लेकिन , श्रीराम के दर्शन नही हुऐ । अंत मे रानी ने निराश होकर सरयू नदी मे छलांग लगा दिया । कहा जाता है कि रानी कुंवर को सरयू नदी के जल मे ही भगवान के दर्शन हुए और रानी ने उन्हे अपने साथ ले जाने की आग्रह करने लगी । इस पर भगवान श्रीराम भी तैयार हो गये,पर उन्होने रानी के सामने शर्त के रूप में तीन प्रस्ताव रखा ।

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राम राजा सरकार की कहानी

पहला शर्त उन्होने यह रखा कि , अगर तुम मुझे यहां से ले जाकर जिस स्थान पर पहले रखोगी वही विराजमान हो जाऊंगा । दुसरा शर्त में भगवान श्री राम ने कहा कि , मै पुष्य नक्षत्र मे साधु संतो की टोली के साथ पैदल चलूंगा । तीसरा और अंतिम शर्त भगवान ने रानी के सामने यह रखा कि , जहां मै जाऊंगा राजा के रुप मे रहुंगा और वहा केवल मेरा ही राज चलेगा । इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि श्रीराम ने रानी से यह भी कहे थे कि , मै दिन के समय में ओरछा और रात्रि मे अयोध्या मे वास करूंगा । शर्तो को स्वीकार करते हुए रानी कुवंर ने उन्हे अपने साथ ओरछा ले गई ।

कहा जाता है कि रानी गणेश कुँवरि ने रामलला की मूर्ति को ले जाकर अपने महल में रख दी यह सोच कर कि , अगले दिन मंदिर में स्थापित किया जाएगा । लेकिन अगले दिन जब मूर्ति को स्थापना के लिए उठाया गया तो प्रभु श्री राम की मूर्ति वहां से हिली नहीं । इसके रानी को भगवान की कही हुई बात याद आई और शर्तानुसार उस मूर्ति का स्थापना किया गया । राजा और रानी ने अपने महल को ही मंदिर बनवा दिया । तभी से रामराजा कि मूर्ती ओरछा के मंदिर मे विराजमान है।
रामराजा के अयोध्या और ओरछा के संबंध मे , ओरछा रामराजा के मंदिर मे लिखा एक दोहा जो यह प्रमाण देता है कि ,दिन मे ओरछा तथा रात मे अयोध्य रामराजा निवास करते है ।
खास दिवस ओरछा रहत है ,रैन अयोध्या वास

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निष्कर्ष
भगवान राम की अयोध्या से ओरछा आने की कहानी ( Orchha Ram mandir Story )में आपने जाना कि कैसे एक भक्त की अटूट प्रेम व भक्ति से भगवान अयोध्या से ओरछा धाम चले आए । रानी गणेश कुँवरि की आस्था और विश्वास ने यह साबित कर दिया कि भगवान को सच्चे हृदय और श्रद्धा से पुकार कर कही भी बुलाया जा सकता है ।

FAQ: Orchha Ram mandir Story

Q : ओरछा के पहले राजा कौन थे

A : राम राजा सरकार से प्रसिद्ध ओरछा के पहले राजा रुद्र प्रताप थे जिन्होंने 1531 में ओरछा राज्य की स्थापना किए थे ।

Q : ओरछा की महारानी का नाम क्या है

A : ओरछा की महारानी का नाम गणेश कुँवरि है जो भगवान राम की उपासक थी ।

Q : अयोध्या से ओरछा कितना किलोमीटर है

A : अयोध्या से ओरछा की दूरी लगभग 465 किमी है ।

Q : ओरछा का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

A : ओरछा में श्रीराम को भगवान के रूप में नहीं बल्कि एक राजा के रूप में जाना जाता है । ओरछा राम लाला मंदिर के प्रसिद्ध होने का कारण , ओरछा की महारानी गणेश कुँवरि का अपने पति राजा मधुकर शाह के शर्त के अनुसार भगवान राम को अयोध्या से ओरछा लाना है , जिन्हें यहां राजा के रूप में पूजा जाता है ।

Q : ओरछा मंदिर किस जिले में है

ओरछा मंदिर मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित है , जिसके किनारे बेतवा नदी बहती है ।

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