भगवान कल्कि का कलियुग से संबंध(Lord Kalki's relation with Kali Yuga)

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भगवान कल्कि का कलियुग से संबंध(Lord Kalki's relation with Kali Yuga)

 Lord Kalki's relation with Kali Yuga : पूराणों के अनुसार जब-जब धर्म की हानि हुयी है दुष्टो का अत्यचार बढा है तब भगवान विष्णु किसी न किसी रुप मे पृथ्वी पर अवतार लिए है । जैसे वामन अवतार , नृसिंह अवतार,मत्सय अवतार,रामावतार कृष्ण अवतार ये सभी बातों का प्रमाण देते है। ब्रह्मा,विष्णु,महेश इनका जिक्र त्रिदेवो के रुप मे किया जाता है जिनका कार्य छेत्र आपस बटा हुआ है । पुराणों मे ऐसा कहा गया है कि ब्रह्मा इस सृष्टि के रचयिता व विष्णु इसके पालनहार तथा शिव संहार करते है ।

Lord Kalki



भगवान श्री कृष्ण ने गीता के उपदेश मे कहा है कि जब भी धर्म पर कोई हानि होती है तथा संसार मे पापियो व अत्यचारियो का आतंक बढेगा तब-तब मै पृथ्वी पर अवतार लूंगा।

कल्कि अवतार की कथा

पुराणों के अनुसार कल्कि अवतार कलयुग के अंत मे होने की भविष्यवाणी हुयी है अभी कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है .कुछ संगठनो का मानना है कि कल्कि अवतार हो चुका है,स्वप्न वाणी,और संदेशो द्वारा भक्तो की सहायता कर रहे है तथा वे अपने भक्तो की रछा कर रहे है तथा उनकी शक्ति चारो ओर फैल चुकी है, बस उनका केवल प्रकट होना शेष है । श्रीमदभागवत पुराण के बारहवे स्कंद मे लिखा है कि
भगवान कल्कि के अवतार कलयुग के अंत तथा सतयुग के संध्या काल मे होगा ।शाष्त्रो के अनुसार भगवान श्री कृष्ण व राम का अवतार अपने युग के अंत मे हुआ  था इस लिए जब कलियुग का अंत निकट आ जाएगा तब भगवान कल्कि अवतरित होंगे ।

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भगवान कल्कि के अवतार की भविष्यवाणी

पुराणो मे बताया गया है कि कलयुग 432000 वर्ष का है जिसका प्रथम चरण अभी चल रहा है । पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कलियुग का प्रथम चरण की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व से हुआ था ।इसका मतलब 3102+2020=5122 वर्ष कलियुग के अबतक बीत चुके है और 426878 वर्ष अभी बाकी है। तथा अभी से ही भगवान कल्कि की पूजा अर्चना,स्तूति शुरु हो गयी है, कुछ जानकारो का मानना है कि भगवान कल्कि की पूजा लगभग पौने तीन सौ सालो से चलती आ रही है।कल्किपुराण के अनुसार कल्कि भगवान का जन्म कलियुग के अंत तथा सतयुग के संध्या काल मे होगा । कुछ धर्मग्रंथो मे कल्कि अवतार के संबंध मे एक श्लोक के माध्यम से यह बताया गया है कि उनका जन्म कहा पर होगा ।

सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्माना:
भवनेविष्णुयशस: कल्कि प्रादुर्भाविष्यति ।।

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अर्थात भगवान कल्कि का अवतार संभल नामक ग्राम मे बिष्णुयस नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के यहा कल्कि का जन्म होगा तथा वे घोड़े पे सवार होकर हाथो मे तीर कमान लेकर दुष्टो का संहार करेंगे तथा सतयुग का आरंभ करेंगे । उत्तरप्रदेश के संभल ग्राम मे भगवान कल्कि का मंदिर  बना है जहा पर दिल्ली आदि छेत्रो मे उनके नाम की पुस्तके तथा साहित्य सामग्रियो का प्रचार-प्रसार  हो रहा है तथा उनके नाम पर चलिसा ,आरती पुराण आदि मिलते है


अंतत: यह कहना उचित है कि कल्कि अवतार  हो चुका है ,तथा यह भी कहना उचित है कि अभी  नही हुआ है। जो लोग वेद-पुराणो का अध्ययन करते है समझते है वे ही लोग उचित समझेंगे.

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