अहिल्यादेवी होल्कर की जीवनी(Biography of Ahilya Devi Holkar)

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अहिल्यादेवी होल्कर की जीवनी(Biography of Ahilya Devi Holkar)

 

अहिल्यादेवी होल्कर
                  Image by osmpic.com



हमारे देश के इतिहास में बहुत सी ऐसी महिलायें हुई हैं जो अपने वीरता,साहस और कुशलता से कई ऐसे काम किए है जिस कारण हमारा देश आज भी उनको सम्मान पूर्वक याद करके तथा उनसे प्रेरणा लेता है।
अब हम रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन के बारे मे पढेंगे जो अपनी कार्य कुशलता से बहुत ही सम्मान- जनक उपलब्धिया हासिल की। तथा नारी जाति और पिड़ितो की सेवा मे तथा समस्त मानवता जाति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

अहिल्याबाई होलकर का जन्म-

अहिल्याबाई होलकर (1725-1795) में एक कुशल शासक थी.जिनका जन्म 1725 में महाराष्ट्र के चोंडी नामक ग्राम के पाटिल मानकोजी शिंदे के यहा हुआ था.उनका जीवन उस समय बहुत ही समान्य तरिके से चल रहा था.उनके पिता ने उस समय उनको अच्छी शिक्षा प्रदान किए,जब उस समय स्त्रियो को शिक्षा से दुर रखा जाता था।

अहिल्याबाई होल्कर का जीवन चरित्र-    

 अहिल्याबाई बचपन से ही दयालु भाव तथा आकर्षक छवि वाली थी।  लगभग 10-12 साल की उम्र में इनका विवाह खाण्डेराव होलकर से कर दिया गया।
इनका एक पुत्र और एक पुत्री भी थे जिनका नाम मालेराव तथा मुक्तीबाई था।
जब इनकी उम्र 29 वर्ष की हुयी तो इनके पति का कुंभेर की लड़ाई में मृत्यु हो गयी,तथा 42 वर्ष की उम्र मे इनके पुत्र का देहांत हो गया। तथा उत्तर भारत के एक अभियान मे इनकी ससुर की मृत्यु हो गयी।
ससुर के मृत्यु की स्मृति मे अहिल्याबाई ने विधवाओ,अनाथो तथा अपंगो के लिए आश्रम खुलवाये। काशी का प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर तथा महेश्वर के मंदिर का निर्माण कराया।
जब इतने कम समय मे इनके पति की मृत्यु हो गयी तब अहिल्याबाई लोक लाज के डर से सती होने जा रही थी पर इनके ससुर के आग्रह करने पर इन्होने अपना सती होने का विचार बदल दिया।
इन्नहोने न केवल राज्य का भार ठाया बल्कि सैन्य  रुप से तथा प्रशासनिक मामलो मे एक कुशल शासक के रुप में अपने कार्य का निर्वाहन किया।
उन्होने पेशवाओ से आग्रह किया की उन्हें छेत्र की प्रशासनिक बागडोर सौपी जाये। मंजूरी मिलने के बाद अहिल्या देवी होल्कर मालवा की शासक बन गयी।उन्होने कई युद्ध का नेत्रित्व किया,वे वीर साहसी और एक अच्छी तीरंदाज थी।उन्होने कई सालों तक बाहरी आक्रमणकारियों से अपनी राज्य की रक्षा की।

अहिल्यादेवी होल्कर
                   Image by osmpic.com


योगदान-

अहिल्याबाई होलकर के इतिहास से हमे ये मालूम होता है कि इन्होने अपने कार्यकाल मे सबसे अधिक धार्मिक स्थलो का निर्माण कराया। इन्होने अपनी राजधानी को महेश्वंर ले गयी तथा वहाँ इन्होने नर्मदा नदी के इर्द-गिर्द 18 वीं सदी का आलीशान महल बनवाया जो अहिल्या महल नाम से प्रसिद्ध हुआ।
उस समय महेश्वर प्रांत कला के क्षेत्र मे तथा साहित्य व संगीत का गढ बन चुका था। कवि मोरोपंत तथा शाहिर अनंतफंडी व संस्कृत विद्वान खुलासी राम उनके समय मे महान व्यक्तित्व थे।
उनकी बुद्धिमानी और तीछ्ण सोंच तथा एक कुशल शासिका के रुप मे उन्हे याद किया जाता है।

उपलब्धियां-

अहिल्याबाई होल्कर ने एक छोटे से शहर इंदौर को एक खुबसुरत शहर तथा समृद्ध बनवाया ।तथा उन्होनें कई जगह मंदिर,घाट,तालाब,कुँए,मार्ग तथा विश्राम गृह आदि बनवाये।
भारत सरकार के द्वारा 25 अगस्त 1995 को देवी अहिल्याबाई के नाम पर एक डाक टिकट जारी किया
तब से उनके नाम पर 1996 से एक पुरस्कार प्रदान किया जाता है जो असाधारण कार्य करने वालो को दिया जाता है।यह पुरस्कार प्रथम बार नाना साहब देशमुख को दिया गया।

महारानी अहिल्याबाई का चमत्कार से अलंकृत कार्य हमारे लिए एक प्रेरणा स्वरुप है।आज वो हमारे बीच नही है लेकिन वे हमारे विचारों और अंतरात्मा के रुप मे वो हमारे बीच मे सदैव अमर रहेंगी।उनके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर हम सदा चलते रहेंगे।
एक महान शासिका के रुप मे समाजिक तथा सभी क्षेेेत्रो में योगदान देने के नाते देश उनको सदियों तक याद करता रहेगा।

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