हिन्दु धर्म के मान्यताओ के अनुसार जब लंका के राजा रावण ने माता सीता का हरण करके अपने प्रदेश ले गया तो भगवान राम ने लंका जाने के लिए अपने वानर सेना से इस पूल का निर्माण कराया था।
बताया गया है कि इन पत्थरो पर भगवान राम का नाम लिखकर पानी मे फेक दिया जाता था और यह पत्थर डुबते नही थे यही आगे चलकर रामसेतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ।इसे एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है
यह भी कहा जाता है कि इस पुल का निर्माण विश्वकर्मा पुत्र नल के द्वारा हुआ है इसी लिए भगवान राम ने इस पुल का नाम नल के नाम पर नलसेतु रखा था तथा भगवान श्रीराम जब लंका से वापस गये तो इस पुल को नीचे डुबो दिया था.जिससे बाद मे चलकर यह पुल धीरे-धीरे उपर आने लगा।
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार यह बताया गया है कि यह पुल 100 योजन का है यानि कि एक योजन मे लगभग 8 किमी का होता है कुछ लोगो का मत है कि 13 से 15 किमी होता है।
यह पुल श्रीराम के वानर सेना द्वारा भारत के दछिणी भाग रामेश्वरम पर बनाया गया था तथा इसका दुसरा छोर श्रीलंका मे मन्नार को जोड़ता है
हनुमान चलिसा के एक लाईन मे भी हमने योजन का नाम पढा होगा अर्थात दुरी का अर्थ योजन मे लिया गया है जो कि इस प्रकार उल्लेखित है।
'जूग सहस्त्र जोजन पर भानू ,लिल्यो ताहि मधुर फल जानू'
ये लाईन हनुमान जी को सूर्य को मुख मे लेने वाली कहानी मे दुरी के लिए लिखी गयी है तथा योजन के हिसाब से ही लंका की दुरी मापी गयी थी।
मान्यताओ के अनुसार यह बताया गया है कि लगभग 100 योजन का यह पुल 4-5 दिन मे बनाया गया है।
इस पुल की लंबाई 48 किमी है
अमेरिका के साइंस चैनल के रिसर्च से पता चला है कि प्राचीन हिंदु धर्म मे जो श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाली पुल असली ।है क्योकि इनके उपर जो पत्थर रखे है वे प्राकृतिक नही लगते अर्थात यह मानव निर्मित पत्थर है.तथा इन पत्थरो को सात हजार साल पुराना बताया गया है।
नासा तथा अन्य संस्थाने ने इसकी बहुत सी बाते बतायी तथा उन्होने यह भी बताया कि रामसेतु के बहुत से रहस्य अभी भी छिपे हुए है
thanks for feedback