Success Story : उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले मुरलीधर ज्ञानचंदानी , यूपी के सबसे अमीर व्यक्ति में से एक है । इन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर पिता की छोटी सी ग्लिसरीन से साबुन बनाने वाले व्यवसाय से , घड़ी डिटर्जेंट ( Ghadi Detergent ) का बड़ा कारोबार खड़ा किया । यही नहीं अपनी सूझ–बुझ और रणनीति और आरएसपीएल समूह से , अपने छोटे कारोबार को बड़े स्तर पर पहुंचा कर , अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर दिया ।
मुरलीधर ज्ञानचंदानी की सफलता की कहानी
मार्केट में बहुत कंपटीशन था एक दूसरे से आगे बढ़ने के लिए , बड़े–बड़े ब्रांडो का प्रभुत्व मार्केट पर छाया हुआ था । इन दोनों भाइयों ने किस तरह की सफल रणनीति बनाई जिससे उनका बिजनेस घड़ी डिटर्जेंट अच्छा ब्रांड बना । आज घड़ी के साथ–आरएसपीएल समूह कई क्षेत्रों में काम करता है और देश–दुनिया में अपने उत्पादों को बेचता है । आज हम मुरलीधर ज्ञानचंदानी और उनके ब्रांड , घड़ी डिटर्जेंट की सफलता की कहानी पढ़ने वाले हैं ।पिता के छोटे व्यवसाय से शुरुआत किया
मुरलीधर के पिता दयाल दास ज्ञानचंदानी का कानपुर में एक छोटा सा व्यवसाय था । जहां उनके पिता ग्लिसरीन से साबुन बनाने का काम करते थे । मुरलीधर और उनके भाई बिमल ज्ञानचंदानी भी , पिता के व्यवसाय में हाथ बटाने के लिए मिलकर काम करते थे । पिता का व्यापार छोटा और सीमित था । इसलिए उन्होंने फैसला किया कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि इस व्यापार का मार्केट में अच्छी मांग हो और यह बड़े स्तर पर पहुंच जाए ।बड़े ब्रांड का दबदबा
मुरलीधर ज्ञानचंदानी अपने पिता के व्यवसाय को बढ़ाना चाहते थे । वे चाहते थे कि उनका कारोबार बड़ा हो । इसलिए सबसे पहले दोनों भाइयों ने बाजार को समझने की पहली प्राथमिकता दी । उन्होंने कई महीनों तक मार्केट का मुआयना किया । जिसके बाद उन्होंने देखा कि मार्केट में बहुत से ऐसे ब्रांड है जो अपना दबदबा बनाए रखे हुए है । उस समय निरमा डिटर्जेंट एक मशहूर ब्रांड था । जिसने अपने उत्पाद को कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता , प्रदान करने का वादा कर घर–घर में अपनी जगह बना लिया था ।
निरमा की तरह रणनीति अपनाई
मुरलीधर ज्ञानचंदानी को अपने पिता के कारोबार से बहुत अनुभव और व्यापार की समझ हो गई थी ।उन्होंने बाजार का अवलोकन कर यह देखा कि डिटर्जेंट के ग्राहक दो तरह के है । एक वैसे लोग है जो महंगे– महंगे ब्रांड के डिटर्जेंट पर विश्वास करते हैं ।और दूसरे वे लोग है ,जो समान के लिए कम पैसा देना चाहते है । लेकिन समान की क्वालिटी भी अच्छी खोजते हैं । उस समय निरमा भी अपने प्रोडक्ट कम दाम और अच्छी क्वालिटी के आधार पर कारोबार कर रहा था , और लोगों में अपना विश्वास बनाया हुआ था । मुरली ने इसी अंतर को समझा और इसी विचार को रास्ता बनाकर बिजनेस का सफर शुरू करने के बारे में सोचा ।
टैगलाइन से भरोसा जीता
मुरलीधर ज्ञानचंदानी चाहते थे कि मार्केट में बड़े बड़े जो ब्रांड है उनकी प्रतिस्पर्धा को कम किया जाए । क्योंकि कई ब्रांड ने अपने प्रोडक्ट को , बढ़िया बताकर प्रचार करते और महंगे दाम में सेल करते थे । लेकिन उत्पाद की क्वालिटी अच्छी नहीं रहती थी । इसलिए मुरली ने अपने घड़ी डिटर्जेंट के लिए एक टैगलाइन जारी किया ।“पहले इस्तेमाल करें , फिर विश्वास करें” । उनका उद्देश्य यह था कि ग्राहक पहले उत्पाद को उपयोग करें और उसकी गुणवत्ता को जाने । मुरली के यह टैग लाइन का विचार मार्केट में धमाल मचा दिया । लोगो को कम दाम में अच्छी गुणवत्ता वाले घड़ी डिटर्जेंट ले जाते और उसका उपयोग कर संतुष्ट होते । इस तरह से धीर धीरे इनका डिटर्जेंट मार्केट में छा गया । सबके घरों में घड़ी सर्फ आने लगा । मुरली की इस टैग लाइन ने उनकी आरएसपीएल समूह की किस्मत ही पलट दिया ।
साइकिल से भी सफल प्रचार किया
मुरीधर ज्ञानचंदानी ने अपने ब्रांड का प्रचार करने के लिए , बहुत ही सूझ बुझ और अनोखा विचार अपनाया । उन्होंने देखा कि बड़ी बड़ी जो कंपनिया थी वे बड़े शहरों या बड़े क्षेत्र तक सीमित थी । छोटे जगहों या स्थानों पर नहीं पहुंच पाती थी । मुरलीधर को अपने ब्रांड का बड़े पैमाने पर प्रचार करने का बजट नहीं था । इन्होंने अपनी साइकिल से ही छोटी छोटी जगहों , कस्बे आदि पर जाकर अपने ब्रांड का प्रचार करते थे । इन्होंने अपने प्रोडक्ट घड़ी डिटर्जेंट के पैकेट को सफेद रखा था , ताकि लोग सफाई और शुद्धता के प्रतीक से आकर्षित हो । मुरलीधर के घड़ी सर्फ का रंग और टैग पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें । ने लोगों का विश्वास जीत लिया जिससे उनका कम बजट में प्रचार करना भी सफल हो गया ।बॉलीवुड हस्तियां भी घड़ी के प्रचारक
मुरलीधर ज्ञानचंदानी ने छोटे से व्यवसाय से घड़ी डिटर्जेंट को कैसे फेमस किया या घरेलू व्यवसाय को कैसे राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया ये तो आप जान ही गए होंगे । उन्होंने पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें जैसे , भरोसेमंद टाइटल से पहले ही अपनी ब्रांड की विश्वसनीयता बना ली थी । लेकिन उन्होंने अपनी कंपनी का और प्रचार प्रसार करने के लिए समय के साथ इंटरनेट , टीवी , सोशल मीडिया का बढ़ते प्रचलन का भी सहारा लिया । उन्होंने अपने ब्रांड घड़ी डिटर्जेंट को मशहूर सेलिब्रिटी अमिताभ बच्चन और दिव्यांका त्रिपाठी जैसे कलाकारों से प्रचार कराया । इतने मशहूर और सम्मान जनक हस्तियां घड़ी डिटर्जेंट का प्रचार किया , जिससे इनका ब्रांड और विश्वनीय और भरोसेमंद बन गया । आज भी घड़ी के ब्रांड एंबेसेडर महानायक अमिताभ बच्चन है ।व्यापार केवल डिटेजेंट तक सीमित नहीं
आरएसपीएल (RSPL) समूह के मालिक मुरलीधर ज्ञानचंदानी घड़ी की सफलता के साथ साथ , उन्होंने और भी बहुत से क्षेत्रों में अपने व्यापार को सफल बनाया है । जिसमें मुख्य रेडचीफ , एफएमसीजी (FMCG) , डेयरी प्रोडक्ट आदि ब्रांडो ने समय के साथ बहुत विकास किए है और इनमें सफल भी हुए है । आरएसपीएल ग्रुप एक मशहूर कंपनी है जो एकसाथ इतने ब्रांड को नई दिशा दिया और सफल बनाया ।घड़ी के मालिक मुरलीधर ज्ञानचंदानी जी सफल व्यापारी के साथ साथ परोपकारी व्यक्ति भी है और वे अपने माता–पिता के नाम से कानपुर में एक धर्मार्थ हॉस्पिटल चलाते है । जहां गरीब , असहाय लोगों का इलाज और सहयोग भी होता है ।
मुरलीधर ज्ञानचंदानी की कुल संपत्ति
मुरलीधर ज्ञानचंदानी भारत के अरबपतियों में से एक है इन्होंने आज से 36 साल पहले आरएसपीएल (RSPL) नाम से एक कंपनी की स्थापना किया । यह कंपनी मुख्य रूप से घड़ी डिटर्जेंट , रेड चीफ , डेयरी प्रोडक्ट और एफएमसीजी के समान का व्यापार करती है । आरएसपीएल समूह का सबसे सफल ब्रांड घड़ी रहा है जिसके ब्रांड एंबेसेडर अमिताभ बच्चन है । एफएमसीजी ग्रुप को इन सभी ब्रांड से कमाई होती है जिसमें सबसे पॉपुलर ब्रांड घड़ी की हिस्सेदारी ज्यादा है । मुरलीधर ज्ञानचंदानी कई वर्षों तक यूपी के सबसे अमीर व्यक्ति के लिस्ट में नबर 1 पर रहे है । लेकिन अब उनका स्थान यूपी के सबसे धनी व्यक्ति की लिस्ट में , 8080 करोड़ रुपयों के साथ चौथे स्थान पर है ।अंत में –
घड़ी के मालिक मुरलीधर ज्ञानचंदानी और उनके भाई ने किस प्रकार अपने पिता के छोटे से व्यवसाय को बड़ा बनाया । उन्होंने अपने व्यवसाय का प्रसार करने के लिए कितनी बढ़िया व्यापारिक रणनीति बनाई । अपनी सूझबूझ , विचार और संघर्ष के दम पर अपने व्यवसाय को बड़े मुकाम पर पहुंचा दिया । आज का पोस्ट मुरीधर ज्ञानचंदानी Success Story पर आधारित थी । हमें उम्मीद है कि यह कहानी पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा । धन्यवाद
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