रक्षाबंधन : इस साल राखी का त्यौहार ऐसे मनाएं ?

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रक्षाबंधन : इस साल राखी का त्यौहार ऐसे मनाएं ?

 


रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर्व मनाने की परंपरा बहुत प्रचीन समय से चली आ रही है।जैसे-जैसे यह जमाना बदलता गया इस त्यहौर का स्वरुप भी बदलता गया।यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को हमारे देश में बड़ी ही धुम-धुम धाम से मनाया जाता है इस त्यौहार को भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।इस पर्व के दिन एक बहन अपने भाई के कलाई पर राखी (Rakhi) बांधकर तथा माथे पर तिलक लगाकर भगवान से उसके लिए सफलता और दीर्घायु की प्रार्थना करती है तथा भाई से अपना रक्षा करने की कामना करती है।और भाई भी अपने बहन को रक्षा करने का वचन देता है तथा स्नेह स्वरुप उसे उपहार भेंट करता है। तो चलिए हम आगे पढें कि इस त्यौहार को कैसेे मनाएं ?                  रक्षाबंधन : इस साल राखी का त्यौहार ऐसे मनाएं (how to celebrate Rakshabandhan this year)

Rakshabandhan


रक्षाबंधन पर्व का महत्व (importance of raksha bandhan festival )

रक्षाबंधन यानि कि एक बहन भाई को अपने रक्षा के लिए अनुठे रिश्तो में बाधती है।जरुरी नही है कि अपना सगा भाई हो किसी को भी भाई मानकर यह धागा बांधकर बहन का फर्ज निभाती है। यह रक्षा सुत्र और भी संबंधो में बाधा जाता है जैसे में इस धागे को मित्रता के भाव से भी बांधा जाता है तथा गावों में इस रक्षा सुत्र को पंडित लोग सुख समृद्धी के लिए मंत्रो का उच्चारण करके कलाई में बांधते है।इसलिए यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है। रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा सदियों से हमारे देश में चली आ रही हैं।सुख ,समृद्धी,मित्रता, और भाई-बहन के प्रेम का उत्सव कहे जाने वाले इस राखी के पर्व को हमे हर एक नए साल में हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए तथा सभी भाई और बहन को एक दुसरे के प्रति प्रेम,कर्तव्य तथा रक्षा का निर्वाह करते हुए इस पर्व को मनाना चाहिए।

कैसे एक रक्षा सुत्र ने बचाई थी सिकंदर की जान

जैसा कि हमने उपर पढा कि रक्षाबंधन पर्व की परंंपरा बहुत ही पुरानी है जब भी कोई स्त्री अपने उपर आए हुए संकट,असहज या असुरक्षित परस्थिती  देखती है तो अपनी सहायता के लिए एक भाई को याद करती है।इसका एक उदाहरण यह है कि जब मैसोडोनिया के राजा सिकंदर ने अपनी बड़ी सेना  के साथ सभी देशों पर फतह करके जब भारत देश पर विजय की इच्छा लेकर आया तो उसका सामना भारत के वीर पुत्र राजा पोरस के साथ हुआ।कहा जाता है कि जब सिकंदर, पोरस के साथ युद्ध कर रहा था तब उसको लगातार असफलता और ज्यादा छति का सामना करना पड़ रहा था यहाँ तक कि सिकंदर की प्रेमिका को अपने प्रेमी की सुरक्षा को लेकर चिंता होने लगी,तब उसने सिकंदर के बचाव के लिए भारतीय संस्कृति का इतिहास मालूम किया और उसने देखा कि भारतीय स्त्रिया रेशम के धागे बनाकर किसी पर्व की तैयारी कर रही है। उसके बाद इसने इस राखी के बारे में पूछा कि यह क्या है तथा इसका क्या उपयोग किया जाता है तब उन स्त्रियो ने इसके बारे में बताया कि यह तैयारी हम रछाबंधन त्यौहार के लिए कर रहें है इस पर्व के दिन एक बहन अपने भाई को राखी बाँधकर उससे अपनी सुख-दुख और रछा का वचन माँगती है। इस भारतीय पर्व की परंपरा को सुनकर सिकंदर की प्रेमिका को बचाव का एक रास्ता दिखा। तब उन्होने राजा पोरस को एक राखी बांधी थी।जिसको पोरस ने स्वीकार किया था और उनको बहन मानकर युद्ध की गतिवीधिया शांत की तब जाकर सिकंदर के प्राणो की रक्षा हुयी थी और उन्हे सकुशल अपने देश को वापस लौटना पड़ा।

रक्षाबंधन की तैयारी कैसे करें ? (How to prepare for Rakshabandhan )

रक्षाबंधन भाई-बहन का मुख्यत: त्यौहार है।इस पर्व के नजदीक आने पर बहनें इसकी तैयारी शुरु कर देती है वह पहले से ही राखी का चयन कर लेती है
आईए निचे जानते है कि रक्षाबंधन की तैयारी कैसें करें।

- सबसे पहले इस दिन बहन को प्रात:काल में जल्दी स्नान कर लेना चाहिए और अपने भगवान और राखी की पुजा करके उनसे आशिर्वाद लेना चाहिए।

- पूजा करने के बाद अपने घरो में अपने सभी बड़े-बुजुर्गो का पैर छूकर आशिर्वाद ले।

- इस दिन राखी खरिदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि राखी रंगीन सुत या रेशम का ही खरिदें।

- राखी बाधने से पहले थाली में रक्षासुत्र (राखी ) कुमकुम, हल्दी,चावल,दीपक,नारियल,जल कलस, तथा मिठाई रख लें।

रक्षाबंधन कैसे मनाए (how to celebrate rakshabandhan )

- सबसे पहले अपने अराध्य देव की पुजा पाठ करने के बाद राखी वाली थाली लेकर अपने भाई के घर जाएं।

- राखी बांधते समय यह ख्याल रहे है कि अपने मुंह और शरीर को शुभ दिशा में आसन लगाकर रांखी बांधे। आपका मुंह पश्चिम दिशा में तथा भाई का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए।

- बैठने के बाद थाली को अपने पास रखें और सबसे पहले अनामिका अंगुली मे टीका लगाकर उसके उसके दोनो भौहें के बीच मष्तक पर टीका लगाएं

- अब अपने अंगुठे व तर्जनी अंगुली को एक साथ मिलाते हुए अक्षत को उठाकर अपने भाई के माथे पर छिड़क दे। अक्षत को हमारे हिन्दु धर्म में शुभ माना जाता है तथा इसका उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है।

- अब अपने भाई के दाँए हांथ पर राखी बांधे।उसके बाद नारियल पर टीका लगाकर उसपर थोड़ा मिष्ठान अहार और अपने श्रद्धानुसार कुछ पैसे नारियल पर रखकर भाई के दोनो हांथो में संकल्प भावना से पकड़कर बैठने के लिए कहे।

- उसके बाद मिषठान की थाली लेकर भाई को मिठाई खिलाएं और उसके बाद दीपक से भाई की आरती करे।

- यह सब प्रक्रिया हो जाने के बाद भाई उपहार स्वरुप अपनी बहन को कुछ भेंट दे तथा मिठाई खिलाएं।  और अपने बहन के प्रति हर सुख दुख का ख्याल रखे।

Conclusion : रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है कि यह जब आता है तो हर एक भाई को अपनी बहन की याद आने लगती है तथा उसके प्रति जिम्मेदारियों का अहसास होने लगता है।भाई राखी बधवाकर अपने बहन को जो उपहार देता है उसमें बहन के प्रति असीम प्रेम समाया होता है तथा बहन भी भाई को राखी बांधकर  उसके लिए भगवान से प्रगति और उन्नति की कामना करती है ।इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह राखी का बंधन भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।


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